
News 24 Punjab 29 सितंबर (धर्मेन्द्र सौंधी) : तू पूजा करता है ये तुझे मालूम है पर पूजा कैसे हो वो तुझे समझना पड़ेगा क्योंकि मैं तेरी मुक्ति चाहता हूँ, मुक्ति ! मोक्ष ! घर की वापसी !अब तुझको मरकर इस मल-मूत्र के कटोरे, YAANI SHARIR, में नहीं आना है |तेरा कोई भी कर्म जो भी तू सुबह से रात तक करता है वो हर कर्म तेरा बद्कर्म बन जाता है तुझको मालूम भी नहीं पड़ता क्योंकि तेरी ‘मैं’ सुबह उठते ही शुरू हो जाती है और रात की नींद तक तेरी ‘मैं’ रहती है इसलिए अब मैं तुझे सिखाता हूँ कि पूजा क्या होती है !
‘हर पूजा करने वाले को पूजा सिखाई जाएगी कि पूजा कैसे की जाती है; हर ध्यान करने वाले को वो सिखाया जाएगा कि ध्यान कैसे करें ! हर इंसान को ये सिखाया जाएगा कि जीवन क्या है, जन्म क्या है, मृत्यु क्या है, मैं कौन हूँ, कहाँ से आया हूँ ? कर्म क्या है ?
मैं’ को गिरा दे तो तेरा हर पल पूजा है|
पूजा का कोई समय नहीं होता है और जहाँ समय है वहाँ पूजा कभी नहीं हो सकती यानि पूजा समय की मोहताज नहीं है इसलिए तुझे हर सीमा के पार जाना है और असीम को पाना है अर्थात तुझे इस शरीर के तालाब से बाहर निकलना है । तू पूजा करे तो ऐसी कर की पूजा करने वाला मर जाए यानी तू खो जाए तो फिर पूजा होती है न कि सुबह उठकर, नहा कर ही पूजा करूँगा । तेरे संसार के ऑफिस सीमा में चलेंगे लेकिन, परमात्मा समय का मोहताज नहीं है वो कहते हैं कि अगर तू अपनी ‘मैं’ को गिरा दे तो तेरा हर पल पूजा है अर्थात तेरे ऑफिस में, तेरे फैक्ट्री में, तेरे किचन में या तू कहीं पर भी है, तेरा हर पल पूजा हो जाएगा।