
जालंधर 18 अगस्त (ब्यूरो) : मान सरकार ने आज तक ऐसी कई नियुक्तियां की हैं जिनको लेकर विवाद होता रहा है। हालांकि सरकार इन विवादों को शांत करने की कोशिश करती है लेकिन हर बार कोई न कोई पंगा पड़ ही जाता है। कई बार दिल्ली वाले अधिकारियों को पंजाब में बड़े पदों पर बिठाना और कभी विवादों में रहने वाले लोगों को सरकारी पद बनाना।
अब ताजा पंगा पड़ा है गौरव मसीह की नियुक्ति का। गौरव को अल्पसंख्यक आयोग का चेयरमैन बनाया गया है। जालंधर के अंकुर नरूला की चर्च से जुडे जतिंदर उर्फ गौरव मसीह को अल्पसंख्यक आयोग का चेयरमैन लगाने का विवाद बढ़ता ही जा रहा है। शिकायतकर्ता का कहना है कि आठवीं फेल को चेयरमैन की कुर्सी दे दी गई जबकि अल्पसंख्यक आयोग के अध्यक्ष के चयन के मुख्य आधार प्रतिष्ठा, योग्यता और सत्यनिष्ठा हैं। पैनल उपयुक्त उम्मीदवारों से तैयार किया जाना चाहिए।
शिकायतकर्ता के मुताबिक पैनल तैयार करते समय, किसी भी लंबित अदालती मुकदमे, दीवानी या फौजदारी, दोषसिद्धि या अन्यथा किसी आपराधिक अदालत या सिविल अदालत के फैसले या किसी अन्य कार्यवाही के बारे में विशेष रूप से जानकारी ली जाएगी, जिसका उम्मीदवारों की ईमानदारी और चरित्र पर प्रभाव पड़ सकता है। अध्यक्ष के रूप में नियुक्त होने के लिए पात्र व्यक्ति में अनुभव, योग्यता, चरित्र और ईमानदारी जैसे कुछ सकारात्मक गुण भी होने चाहिए।

ईमानदारी को भी ध्यान में रखा जाना चाहिए
शिकायतकर्ता एडवोकेट सिमरनजीत सिंह का कहना है कि नियुक्ति करते समय न केवल नियुक्त किए जाने वाले उम्मीदवार की व्यक्तिगत ईमानदारी, बल्कि एक संस्था के रूप में आयोग की ईमानदारी को भी ध्यान में रखा जाना चाहिए। अध्यक्ष पद के लिए जीवन के सभी क्षेत्रों से बेदाग ईमानदारी, क्षमता और प्रशासनिक अनुभव वाले प्रतिष्ठित व्यक्तियों के नामों पर विचार किया जाना चाहिए।
सिमरनजीत सिंह ने जतिंदर गौरव मसीह के अतीत पर प्रश्नचिह्न लगाते शिकायत की कि अल्पसंख्यक आयोग का अध्यक्ष नियुक्त करने से पहले कोई सार्थक और प्रभावी विचार नहीं किया गया। जतिंदर गौरव मसीह पर एक प्राथमिकी संख्या 122/26.12.08 यूएस 364 ए/342//34 आईपीसी पीएस डी डिवीजन, अमृतसर में दर्ज की गई थी।
कार में लाल नीली बत्ती का दुरुपयोग
जतिंदर गौरव मसीह ने अपने वाहन पर लगे पंजाब पुलिस के प्रतीक चिन्ह का भी दुरुपयोग किया है। वाहन स्कॉर्पियो संख्या PB08-DS-0693, जिस पर वह लाल/नीली बत्ती का दुरुपयोग कर रहा है। शिकायत में लिखा है कि यहाँ यह उल्लेख करना भी प्रासंगिक है कि यह भी जाँच की जानी चाहिए कि जब उन्होंने सरकार के साथ सूचीबद्ध किया है कि उन्होंने ईसाई धर्म अपना लिया है तो सरकारी रिकॉर्ड में यह दर्ज होना चाहिए, क्योंकि केवल वही कानून की नज़र में वैध होना चाहिए।