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विश्व महिला दिवस पर महिला उत्थान मंडल ने संस्कृति रक्षा यात्रा निकाल संत श्री आशारामजी बापू की रिहाई के लिए उठाई आवाज

अहमदाबाद, 09 मार्च (ब्यूरो) : पूज्य संत श्री आशारामजी बापू द्वारा प्रेरित महिला उत्थान मंडल द्वारा ८ मार्च विश्व महिला दिवस के उपलक्ष्य में अहमदाबाद में विशाल संस्कृति रक्षा वाहन यात्रा निकाली गयी । यात्रा का शुभारंभ दीप प्रज्वलन से किया गया । अहमदाबाद संत श्री आशारामजी बापू आश्रम से शुरू हुई इस यात्रा ने पूरे शहर भर में भारतीय संस्कृति का सुप्रचार किया व नारी तू नारायणी का संदेश दिया । बैनर, तख्तियों व आकर्षक झाँकियों से सुसज्जित इस यात्रा में बड़ी भारी संख्या में महिलाओं ने भाग लिया । सर पर केसरिया पगड़ी पहनी यह जाबांज महिलायें नारी भोग्या नही योग्या है का संदेश दे रही थी । नारी शक्ति जागृत सदा का संदेश देती हुई सुंदर झांकी वीरांगना झांसी की रानी यात्रा की शोभा बढ़ा रही थी ।

इस यात्रा में अन्य सामाजिक संगठनों की महिला सदस्याएँ भी इस यात्रा में सम्मिलित रहीं । यात्रा के द्वारा यह संदेश दिया गया कि लोकहित में अपना पूरा जीवन अर्पित करनेवाले संयममूर्ति ऐसे महापुरुष को षड्यंत्र के तहत झूठे आरोपों में फँसाया गया है । इन आरोपों को सिद्ध करने के लिए न्यायालय के पास एक भी सीधा प्रमाण (Direct evidence) नहीं है । फिर भी बापूजी को आजीवन कारावास की सजा दी गयी है । इसी प्रकार एक अन्य सुनियोजित षड्यंत्र के तहत दूसरे केस में अहमदाबाद की एक महिला को मोहरा बनाकर बापूजी को झूठा फँसाया गया है । लड़की के अलग-अलग बयानों में अनेकों विसंगतियाँ होते हुए भी 10 वर्ष से पूज्य बापूजी जेल की यातनाओं को सहते हुए प्रतीक्षारत हैं । लेकिन आखिर यहाँ के भी झूठे, बनावटी केस में बापूजी को आजीवन कारावास की सजा सुना दी गयी है । एक लड़की के सभी झूठे आरोपों को सत्य मानकर देश-विदेश की लाखों-लाखों महिलाओं की सच्ची आवाज को अनसुना किया जा रहा है ! आखिर क्यों ?

उन्होंने कहा कि विश्व की 4 प्राचीन संस्कृतियों में से केवल भारतीय संस्कृति ही अब तक जीवित रह पायी है और इसका मूल कारण है कि संस्कृति के आधारस्तम्भ संत-महापुरुष समय-समय पर भारत-भूमि पर अवतरित होते रहे हैं लेकिन आज निर्दोष संस्कृति रक्षक संतों को अंधे कानूनों के तहत फँसाया जा रहा है । यात्रा में हमारे भारत देश की महान नारियों की आकर्षक झांकियों का प्रदर्शन भी किया गया । जाग रे जाग रे हे नारी तू जाग रे, बहुत सो चुकी अब तो जागो… भजनों के साथ महिलाओं को विशेष संदेश दिया गया । इसके साथ ही नारीशक्ति का संदेश देती हुई तख्तियां भी यात्रा के मुख्य आकर्षण का केंद्र रहीं । 

 महिलाओं में आत्मबल, आत्मविश्वास, साहस, संयम-सदाचार के गुणों को विकसित करने के लिए महिला उत्थान मंडलों का गठन किया है, जिससे जुड़कर कई महिलाएँ उन्नत हो रही हैं । बापूजी ने संस्कृति-रक्षा, संयम-सदाचार एवं ब्रह्मविद्या,गीता भागवतके प्रचार-प्रसार में अपना पूरा जीवन अर्पित कर दिया । मातृ-पितृ पूजन दिवस, तुलसी पूजन दिवस,वसुधैव कुटुम्बकम् व सर्वेभवन्तु सुखिनः, असतोमा सद्गमयं जैसी लुप्त हो रही परम्पराओं को पुनः आरम्भ कर भारतीय संस्कृति के उच्च आदर्शों को पुनर्जीवित किया है । अतः हम करोड़ों बहनें जो उनके समर्थन में खड़ी हैं, हमारी आवाज को क्यों नहीं सुना जा रहा है ? आजकल सोशल मीडिया पर जो लगातार ट्विटर ट्रेंड चलाये जा रहे हैं उनको भी नजरअंदाज किया जा रहा है ।

निर्दोष संत को 10 साल से जेल में रखना भारत देश में एक शर्मनाक कृत्य है । सदस्या बहनों ने बताया कि देश भर में महिला मंडल द्वारा महिलाओं के सर्वांगीण विकास हेतु ‘चलें स्व की ओर’…महिला शिविर का आयोजन, बेटी बचाओ अभियान, तेजस्विनी अभियान, आध्यात्मिक जागरण हेतु युवती एवं महिला संस्कार सभाएं, दिव्य शिशु संस्कार अभियान, निःशुल्क चिकित्सा सेवा,चल चिकित्सा सेवा मातृ-पितृ पूजन दिवस , कैदी उत्थान कार्यक्रम, घर-घर तुलसी लगाओ अभियान, गौ-संवर्धन व हर अमावस्या पर गरीबों में भंडारे,दीपावली पर दरिद्रनारायण सेवा आदि समाजोत्थान के कार्य किए जाते हैं । उन्होंने कहा कि ये सारे दैवी सेवाकार्य संत श्री आशारामजी बापू की प्रेरणा से चलाए जाते हैं ।

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