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यूपी में वर्तमान उत्पादन से तीन गुना अधिक कृषि उत्पादन की क्षमता

उत्तर प्रदेश, 22 जुलाई (ब्यूरो) : यूपी में लगभग 3 करोड़ किसान कृषि पर निर्भर हैं कृषि क्षेत्र के बाद एमएसएमई और उससे संबंधित गतिविधियों में 1.65 करोड़ लोग रोजगार पा रहे हैं सीएम योगी ने कहा, उत्तर प्रदेश विकसित होगा, तो भारत का विकास भी unstoppable होगा।

यूपी में 86% भूमि सिंचित है, लेकिन केवल 25–30% किसान ही वैज्ञानिक शोध को अपनाते हैं। राज्य में 4 + 1 कृषि विश्वविद्यालय, 15+ संस्थान और 89 कृषि विज्ञान केंद्र काम कर रहे हैं। सीएम योगी ने स्पष्ट किया कि शोध का सीधा लाभ किसान तक पहुंचाना होगा, तभी कृषि उत्पादकता में तीन गुना वृद्धि संभव है।

मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा कि जब भारत वर्ष 2047 तक 30 ट्रिलियन डॉलर की अर्थव्यवस्था बनेगा, तब यह विचार करना आवश्यक है कि उस समय उत्तर प्रदेश की स्थिति क्या होगी और राज्य की प्रति व्यक्ति आय कितनी होगी। उन्होंने कहा कि कृषि, इंफ्रास्ट्रक्चर, शिक्षा, उद्योग और स्वास्थ्य जैसे प्रमुख क्षेत्रों में उत्तर प्रदेश की क्या स्थिति होगी, इस पर राज्य सरकार ने एक व्यापक कार्ययोजना तैयार की है।

मुख्यमंत्री ने स्पष्ट किया कि राज्य सरकार विजन 2047 के लक्ष्य की दिशा में लगातार आगे बढ़ रही है, लेकिन इसके साथ ही शॉर्ट टर्म यानी अल्पकालिक लक्ष्यों की भी आवश्यकता है। उन्होंने कहा कि वर्ष 2027, 2029 और 2035 जैसे मध्यवर्ती वर्षों के लिए भी रणनीति तैयार की जानी चाहिए, ताकि आम जनता को विकास के प्रति स्पष्ट संदेश और भरोसा मिल सके।

सीएम योगी ने कृषि विश्वविद्यालयों, कृषि विज्ञान केंद्रों और अनुसंधान संस्थानों से आग्रह किया कि वे इस दिशा में ठोस प्रयास प्रारंभ करें। उन्होंने उदाहरण देते हुए कहा कि यदि किसी फसल की बुवाई एक माह देरी से होती है और उसमें पारंपरिक बीज का ही प्रयोग होता है, तो उसकी उपज में 30 प्रतिशत तक की गिरावट आ सकती है। ऐसे में यह जरूरी है कि लेट वेरायटी फसलों के लिए किसानों को समय से प्रशिक्षित किया जाए और बीज की उपलब्धता के साथ-साथ डेमोंस्ट्रेशन (प्रदर्शन) के माध्यम से उन्हें जागरूक किया जाए।

मुख्यमंत्री ने यह भी कहा कि यदि कृषि वैज्ञानिक व विशेषज्ञ समय पर किसानों को यह नहीं बताएंगे कि किसी खास बीज से कितना उत्पादन लिया जा सकता है, तो किसान उस पर विश्वास नहीं करेंगे। आज भी बड़ी संख्या में किसान पारंपरिक तकनीकों के आधार पर खेती करने को मजबूर हैं, इसका मुख्य कारण यह है कि हम उन्हें शोध संस्थानों और आधुनिक जानकारी के केंद्रों तक लाने में सफल नहीं हो पाए हैं।

इस अवसर पर आयोजित कार्यक्रम में कृषि मंत्री सूर्यप्रताप शाही, राज्यमंत्री (स्वतंत्र प्रभार) दिनेश प्रताप सिंह, कृषि राज्यमंत्री बलदेव सिंह औलख, गोसेवा आयोग के अध्यक्ष श्याम बिहारी गुप्ता, प्रमुख सचिव रविंद्र, उप्र कृषि अनुसंधान परिषद के महानिदेशक डॉ. संजय सिंह और परिषद के अध्यक्ष कैप्टन विकास गुप्ता समेत अन्य गणमान्य लोग उपस्थित रहे।

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