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पी.सी.एम.एस.डी. कॉलेज फॉर विमेन, जालंधर के पीजी कंप्यूटर साइंस एंड आईटी विभाग ने आईसीएसएसआर द्वारा प्रायोजित दो दिवसीय राष्ट्रीय सेमिनार आयोजन

जालंधर, 04 मार्च (धर्मेंद्र सौंधी) : पी.सी.एम.एस.डी. कॉलेज फॉर विमेन, जालंधर में आजादी के 75 साल की पूर्व संध्या पर और ‘आजादी का अमृत महोत्सव’ मनाने के लिए, कंप्यूटर और आईटी के पीजी विभाग ने आईसीएसएसआर द्वारा प्रायोजित दो दिवसीय राष्ट्रीय संगोष्ठी (ऑफलाइन) का आयोजन किया। जिसका विषय था “डिजिटल इंडिया का विकास और संभावनाएं: डिजिटलीकरण के माध्यम से शिक्षा में क्रांतिकारी बदलाव” (आरएजीपीडीआई- आरईटीडी-(2023)) इस सेमिनार के मुख्य अतिथि डॉ. एस.पी. सिंह, (पूर्व कुलपति, गुरु नानक देव विश्वविद्यालय, अमृतसर) थे। संगोष्ठी का शुभारंभ दीप प्रज्वलित करके एवम ईश्वर की कृपा का आह्वान कर के किया गया। शासी निकाय के वरिष्ठ उपाध्यक्ष श्री विनोद दादा, शासी निकाय की सदस्य डॉ. किरण अरोड़ा, प्रो. डॉ पूजा पराशर (प्राचार्य एवं संरक्षक), श्रीमती शिवानी शर्मा (संयोजक अध्यक्ष पीजी कंप्यूटर विज्ञान और आईटी विभाग) और संगोष्ठी समन्वयक डॉ. लवली शर्मा और सुश्री एनी आहूजा (सहायक प्रोफेसर, पीजी कंप्यूटर विज्ञान और आईटी विभाग)। प्राचार्य ने अतिथियों का औपचारिक स्वागत किया और संस्था के बारे में संक्षिप्त विवरण दिया।

श्रीमती शिवानी शर्मा ने उक्त विषय पर परिचयात्मक टिप्पणी दी। पहले दिन उद्घाटन सत्र की शुरुआत मुख्य अतिथि डॉ. एस.पी. सिंह, (पूर्व वाइस चांसलर, गुरु नानक देव यूनिवर्सिटी, अमृतसर) के अध्यक्षीय संबोधन से हुई, जहां उन्होंने आज के अस्थिर युग में डिजिटलीकरण की आवश्यकता के बारे में बात की। सत्र की मुख्य वक्ता डॉ रोहिणी शर्मा, (चेयरपर्सन, कंप्यूटर साइंस एंड एप्लीकेशन विभाग, पंजाब यूनिवर्सिटी, चंडीगढ़) थीं। उन्होंने ‘ई-पाठशाला’, दीक्षा, स्वयं आदि जैसे ऑनलाइन प्लेटफॉर्म के माध्यम से डिजिटल शिक्षा को बढ़ावा देने के लिए शुरू की गई विभिन्न सरकारी योजनाओं के बारे में विस्तार से बताया कि यह ऑनलाइन शिक्षा को कैसे मजबूत कर सकती है। सत्र की समाप्ति के बाद राष्ट्रीय संगोष्ठी की कार्यवाही का विमोचन किया गया। उद्घाटन सत्र के बाद दो तकनीकी सत्र हुए।

पहले तकनीकी सत्र के लिए रिसोर्स पर्सन डॉ. माणिक शर्मा (डीन और एसोसिएट प्रोफेसर, कंप्यूटर विज्ञान और प्रौद्योगिकी संकाय, डीएवी विश्वविद्यालय, सरमस्तपुर, जालंधर) थे। उन्होंने आर्टिफिशियल जनरल इंटेलिजेंस एप्लिकेशन जैसे चैट जीपीटी,जीएफपी-जीएएन, लुमेन 5, डीप बीट, डीप नॉस्टेल्जिया आदि पर अपना व्याख्यान दिया। इसके बाद दूसरा तकनीकी सत्र हुआ। इस सत्र के अध्यक्ष प्रोफेसर (डॉ.) ललितसेन शर्मा (प्रोफेसर और प्रमुख, कंप्यूटर विज्ञान और आईटी विभाग, जम्मू विश्वविद्यालय, बाबा साहेब अम्बेडकर रोड, जम्मू तवी) थे।

 दूसरे सत्र के लिए रिसोर्स पर्सन डॉ. पंकज दीप कौर (असिस्टेंट प्रोफेसर, कंप्यूटर साइंस एंड इंजीनियरिंग विभाग, जीएनडीयू रीजनल कैंपस, जालंधर) थे। उन्होंने लाइव उदाहरणों के साथ डीप लर्निंग, क्लाउड कंप्यूटिंग, मशीन लर्निंग और आर्टिफिशियल न्यूरल नेटवर्क जैसी नई तकनीकों पर चर्चा की। दूसरे दिन पहले तकनीकी सत्र के अध्यक्ष डॉ आशुतोष वर्मा (जीएनए बिजनेस स्कूल, एसोसिएट प्रोफेसर और प्रमुख, जीएनए विश्वविद्यालय, फगवाड़ा) थे। उन्होंने डिजिटल इंडिया के 9 स्तंभों को सूचीबद्ध किया। उन्होंने डिजिलॉकर, ई-गवर्नेंस, ई-क्रांति, ई-हॉस्पिटल सिस्टम और इलेक्ट्रॉनिक्स मैन्युफैक्चरिंग पर भी अपने विचार साझा किए। इस सत्र की रिसोर्स पर्सन सुश्री उमिंदर कौर (असिस्टेंट प्रोफेसर, स्कूल ऑफ कंप्यूटर एप्लीकेशन, लवली प्रोफेशनल यूनिवर्सिटी, फगवाड़ा) थीं। उन्होंने विशेष रूप से डिजिटाइजेशन, डिजिटलाइजेशन और डिजिटल ट्रांसफॉर्मेशन के बीच अंतर किया। दूसरे तकनीकी सत्र के अध्यक्ष डॉ कमलेश दत्ता, (एसोसिएट प्रोफेसर, कंप्यूटर विज्ञान और इंजीनियरिंग विभाग, एनआईटी हमीरपुर, हिमाचल प्रदेश) थे। उन्होंने कहा कि आईटी भारत के आर्थिक विकास में योगदान देने वाले सबसे बड़े क्षेत्रों में से एक है। इस सत्र की संसाधन व्यक्ति डॉ मोनिका, (सहायक प्रोफेसर, कंप्यूटर विज्ञान और अनुप्रयोग विभाग, कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय) थीं। उन्होंने साइबर सुरक्षा की आवश्यकता और ऑनलाइन सुरक्षित रहने पर चर्चा की। समापन भाषण डॉ. कमलेश दत्ता ने दिया। आयोजन के समापन पर, वरिष्ठ उपाध्यक्ष, श्री विनोद दादा ने सभी गणमान्य व्यक्तियों को बौद्धिक आदान-प्रदान के लिए धन्यवाद दिया। सुश्री एनी आहूजा द्वारा वोट ऑफ थैंक्स के लिए भाषण प्रस्तुत किया गया। संगोष्ठी की कार्यवाही में आईएसबीएन वाले लगभग 22 शोध पत्र प्रकाशित हुए। श्रीमती शिखा पुरी, (असिस्टेंट प्रोफेसर, पीजी डिपार्टमेंट ऑफ कॉमर्स एंड मैनेजमेंट) ने प्रभावी ढंग से मंच संभाला। संगोष्ठी ने सीखने के अनुभव और सभी के लिए विचारों के संसाधनपूर्ण आदान-प्रदान के रूप में कार्य किया। संगोष्ठी में विभिन्न विश्वविद्यालयों और कॉलेजों के शिक्षाविदों ने भाग लिया। अध्यक्ष श्री नरेश कुमार बुधिया, मुख्य संरक्षक, वरिष्ठ उपाध्यक्ष विनोद दादा जी, शासी निकाय के सदस्य एवं प्राचार्य ने संगोष्ठी की सफलता के लिए विभाग को बधाई दी।

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