
जालंधर, 13 अक्तूबर (धर्मेंद्र सौंधी) : जालंधर नगर निगम में भ्रष्टाचार से जुड़े एक पुराने मामले ने एक बार फिर से जोर पकड़ लिया है। यह मामला नगर निगम की बिल्डिंग ब्रांच से जुड़ा हुआ है, जिसमें अधिकारी सुखदेव वशिष्ठ पर अवैध निर्माणों को संरक्षण देने और अवैध नोटिस जारी करने जैसे गंभीर आरोप लगे थे। यह मामला कुछ महीने पहले विजिलेंस विभाग द्वारा उजागर किया गया था, जिसके बाद वशिष्ठ को कारावास का सामना करना पड़ा था।
सूत्रों के अनुसार, सुखदेव वशिष्ठ के कार्यकाल के दौरान जालंधर वेस्ट क्षेत्र में कई अवैध कॉलोनियां, बड़ी-बड़ी मार्किटें और शोरूम तैयार हुए थे, जिनमें से कई निर्माण नगर निगम के नियमों के विरुद्ध बताए गए थे। कहा जा रहा है कि उस दौरान कई बिल्डरों और कारोबारियों को प्रशासनिक संरक्षण भी दिया गया था।
अब जब यह मामला ठंडा पड़ता नजर आ रहा था, तो एक बार फिर से सुखदेव वशिष्ठ की बहाली की कोशिशें तेज़ होने की खबरें सामने आ रही हैं। सूत्रों के हवाले से बताया जा रहा है कि वशिष्ठ अपनी बहाली के लिए राजनीतिक और संगठनात्मक स्तर पर दबाव बना रहे हैं।
खबरों के अनुसार, वशिष्ठ के RSS से संबंध बताए जा रहे हैं और उन्होंने दिल्ली तक अपनी पैरवी पहुंचाई है। कहा जा रहा है कि उनकी बहाली के लिए आम आदमी पार्टी की सरकार पर भी दबाव बनाया जा रहा है।
स्थानीय लोगों और शहरवासियों का कहना है कि यदि सुखदेव वशिष्ठ को दोबारा नगर निगम में जिम्मेदारी दी जाती है, तो अवैध निर्माणों का कारोबार फिर से शुरू होने का खतरा है। इससे न केवल नगर निगम की साख पर बुरा असर पड़ेगा बल्कि आम जनता को भी भारी नुकसान उठाना पड़ सकता है।
लोगों ने आम आदमी पार्टी की सरकार से मांग की है कि वह ऐसे अधिकारियों को बहाली का मौका न दे, जिन्होंने पहले ही नगर निगम की छवि को नुकसान पहुंचाया है।
जनता का कहना है कि अगर सरकार ने ऐसे भ्रष्ट अधिकारियों को दोबारा नौकरी में लौटने का मौका दिया, तो यह पार्टी की ईमानदार राजनीति के दावे पर सवाल खड़े कर देगा।
फिलहाल, नगर निगम और विजिलेंस विभाग इस मामले में किसी भी आधिकारिक टिप्पणी से बच रहे हैं, लेकिन शहर में चर्चा का विषय यही बना हुआ है कि क्या सुखदेव वशिष्ठ की बहाली के प्रयास सफल होंगे या सरकार जनता की भावना को देखते हुए कोई सख्त कदम उठाएगी।